कांग्रेस में गाहे बे गाहे अनुमानों के साथ बड़े बड़े बेनर युवा लगाते,प्रियंका गांधी की आस में की वो आयेंगी और यू पी में बाकी सबको धो डालेंगी . विधानसभा चुनावो में प्रियंका गांधी को सक्रीय राजनीति में लाने की वकालत तब रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने की थी . पर कांग्रेस आला कमान के कहने के बाबजूद प्रियंका गांधी ने दूर रहना ही बेहतर समझा था .
परिवार वाद को नासूर बता कर कोसने वाले मोदी जी इसी भय से भरी जनसभाओ से ताना मारते रहे . राहुल गांधी भी सजग थे और राहुल गांधी ने एक कुशल और चतुर राजनीतिज्ञ की तरह अपना आधार मज़बूत करने के बाद ,उत्तर प्रदेश में प्रियंका को जिम्मेवारी दे कर एक मास्टर स्ट्रोक खेल डाला हैं .
चौकीदार देखता रहा चोर भागते रहे भक्त मोदी गान गाते रहे
24 घंटे पहले तलक ही शायद ही किसी को सूचना हो की प्रियंका गांधी सक्रीय राजनीति में आने वाली हैं . पर जैसे ही घोषणा हुई प्रियंका ट्विटर पर चलने वाले सारे ट्रेंड में दिखाई दे रही थी . ये अपने आप में अद्भुत था और उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ता तो जैसे ख़ुशी के मारे फेसबुक और सोशल मीडिया पर मोदी समर्थको को दौड़ा दौड़ा कर पानी पिला रहे थे .
ये अपने आप में सही टाइमिंग थी राहुल गाँधी ने एक तीर से कई निशाने लगा डाले थे . गुलाम नवी आज़ाद को हटा कर ज्योतिरादिय सिंधिया को प्रियंका के साथ नॉन बेटिंग एंड पर उतार कर सलामी जोड़ी उत्तर प्रदेश के सियासी पिच पर उतार दी थी . जिसका मुकाबला मोदी से ले कर अमित शाह और बुआ और बबुआ के गठबंधन से होना तय था .
क्या कभी खुल पायेंगे धनुष टेंक को चीन की बेरल देने वालो के नाम
प्रियंका के उत्तर प्रदेश पर अपना अलग प्रभाव हैं उत्तर प्रदेश के लोग उनमे इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं . एक तरफ जहाँ सपा और बसपा कांग्रेस को एक सुई की नौक के बराबर जमीन देने को तैयार नहीं थे . प्रियका गांधी के करिश्मे से अब बही जमीन उत्तर प्रदेश की सारे सीटो पर अपने चुम्बकीय सियासी आकर्षण में बाँधने को ललायित हैं .
मुकाबले के रंग अभी से दिखाई देने शुरू हो गए हैं जब रात हैं ऐसी मस्तानी तब सुबह का आलम क्या होगा …..
जारी हैं