पी एम मोदी और चंद्राबाबू नायडू दोनों ही नेताओं ने विकास की राजनीति के नारे के सहारे देश में अपना अलग स्थान बनाया है. एनडीए में शामिल होने के समय भी आंध्र प्रदेश में विकास का मूल मुद्दा बनाकर तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) आई थी.
अब एनडीए में बिखराव शुरू हो चूका है . कुछ राजनीतक विश्लेशको का मानना हैं .चंद्रबाबू नायडू के इस कदम को अवसरवादी राजनीति का परिणाम बता रहे हैं.
नायडू के सामने सबसे बड़ी चुनौती वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी पेश कर रहे हैं. रेड्डी ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर लगातार लोगों का समर्थन हासिल किया है. उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है.
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टीडीपी का एनडीए से अलग होना लोकसभा चुनाव 2019 से पहले इसे बड़ा झटका माना जा रहा है. अब पार्टी ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया हैं .
मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पी एम् मोदी की साख के लिए बड़ा धक्का माना जा रहा हैं .
नरेंद्र मोदी और एन. चंद्रबाबू नायडू को काफी अच्छा दोस्त माना जा रहा था. टीडीपी सांसदो के अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस ने अपना समर्थन दे दिया है. लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा कि केंद्र के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के हम साथ हैं. सीपीएम के सीताराम येचुरी ने भी टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है.
बिहार व उत्तर प्रदेश लोकसभा उप चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों की करारी हार के बाद अब तेलगू देशम पार्टी ने जोर का झटका दिया है.
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टीडीपी ने मोदी सरकार से नाता तोड़ लिया है. पहले उन्होंने अपने दोनों मंत्रियों को मोदी मंत्रिमंडल से हटाया. अब टीडीपी की पोलित ब्यूरो की बैठक में टीडीपी ने एनडीए से नाता तोड़ने की बात स्वीकार की है .
चंद्रबाबू नायडू के इस फैसले की टाइमिंग को ले कर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं . राहुल गाँधी पहले ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कह चुके हैं .
सवाल उठ रहे हैं की यह निर्णय मोदी सरकार के कार्यकाल की समाप्ति में करीब एक साल का वक्त बचने के समय क्यों आया है?
विशेष राज्य के मुद्दे पर चार वर्षों में टीडीपी ने क्या कदम उठाए? इन सवालों के जवाब आंध्र प्रदेश की जनता को टीडीपी को देने होंगे.
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